Saturday, December 22, 2018

मुझ में भी है

करो खारिज मुझे तो जान पाऊँ
जो मुझसे है जुदा पर मुझ में भी है।

कटोरा आस है सिक्के उम्मीदें
कहीं तो एक भिखारी मुझ में भी है।

तुम्हारे इश्क़ में दलदल हुआ हूँ
तुम्हारा एक पत्थर मुझ में भी है।

तरस क्यों खाते हो नंगे बदन पर
गरम जज़्बों का कम्बल मुझ में भी है।

ज़मीं पर रहता हूँ मैं बहता पानी,
विचरता आसमाँ एक मुझ में भी है

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