Tuesday, June 25, 2019

पानी के कोठे

पानी के कोठे
*****
समस्या पानी की नहीं है
समस्या है
हवस बन चुकी प्यास से
जिसने खुलवाएं है
हर हवेली में पानी के कोठे
जहाँ हर रोज़ होती है
पानी के साथ अय्याशियाँ
कभी घन्टो नहाने के नाम पर
कभी रोज़ कार धोने के नाम पर
कभी आँगन में पानी छिड़कने के नाम पर
कभी रोज़ कपड़े धोने के नाम पर
कभी खत्म हो जाए पानी
नोटों की गड्डियाँ फेंककर
जबरन भरवाते है पानी
कोठों में
जब हवेली में खुल गए हो कोठे
तो कोई कैसे भिजवाए संदेस कि
भैया, सूखे का अंदेशा है
आय्याशियाँ खत्म हो गई हो
तो आओ कभी हवेली पे।

Saturday, June 22, 2019

Happy Father's Day!

Happy Father's Day!
मेरे कर्मों का हवाला देकर
भगवान भी नहीं लड़ते
मेरे हिस्से का संघर्ष 
पर वो लड़ सकता है
बिना किसी वरदान के
मेरी हर बुरी नियति से
वो पी सकता है
मेरे हिस्से का विष
मेरी हर बुरी स्थिति से
वो लड़ जाता है
वो पी जाता है
वो पिता है

Enjoy like a bubble. Even if it burst, it gives you a joy.

Enjoy like a bubble. Even if it burst, it gives you a joy.
जिसे होश ना हो
अपने बनने का
अपने होने का
जो उड़ सकता हो
किसी भी दिशा में
दिशाहीन हुए बग़ैर
विचार बनते ही बुझ जाए
बुझकर भी खुशियाँ लाए
भूल चूक लेनी देनी से परे
जिसका कोई आशियाना ना हो
पर सब बसना चाहे उसमें
किस्मत को जो दिखाए
अपना तमाशा
किस्मत ताली बजाने को
हो जाए मजबूर
बिना कोई हक़
बिना कोई हासिल
सतत क्रांति जो हो
उसे कहते है
बुलबुलापन।
View this post on Instagram

Enjoy like a bubble. Even if it burst, it gives you a joy. Enjoy like a bubble. Even if it burst, it gives you a joy. जिसे होश ना हो अपने बनने का अपने होने का जो उड़ सकता हो किसी भी दिशा में दिशाहीन हुए बग़ैर विचार बनते ही बुझ जाए बुझकर भी खुशियाँ लाए भूल चूक लेनी देनी से परे जिसका कोई आशियाना ना हो पर सब बसना चाहे उसमें किस्मत को जो दिखाए अपना तमाशा किस्मत ताली बजाने को हो जाए मजबूर बिना कोई हक़ बिना कोई हासिल सतत क्रांति जो हो उसे कहते है बुलबुलापन।#enjoyment #bubble #amsterdam #heritage #damsquare #weekend #travel #fun #boomerang #madness #ighub #iggood #instalike #instaclick #visualtreat #instagram #landscape #picoftheday

A post shared by Bekhuri (@bekhuri) on

जिसे तुम सोच कहते हो, उसे मैं रीत कहता हूँ

जिसे तुम सोच कहते हो, उसे मैं रीत कहता हूँ,
जिन्हें तुम लोग कहते हो, उन्हें मैं भीड़ कहता हूँ।
समय की तेज़ आँधी ने, है छीना वक़्त जीने का,
युगों को और सदियों को मैं अब तारीख कहता हूँ।
ये दुनियादारी की रस्में, घुटन सी लगती है मुझको,
जिसे तुम कहते हो जीना, उसे मैं ढोंग कहता हूँ।
अलग कितने भी हो पर एक ही है दर्द हम सबका,
जिसे तुम प्यार कहते हो , उसे मैं इश्क़ कहता हूँ।
मेरे कुछ फ़र्ज़ है इंसानियत के, कैसे झुठला दूँ?
जो 'भूषण' है तुम्हारा मैं उसे इन्सान कहता हूँ।
View this post on Instagram

आसमान में बादलों के नक्शे *** नक्शा बनाया ही जाता है रोशनी को ढकने के लिए तुम्हें बाँधने महज़ किरणों तक अगर छट सकते नक्शे तो कहलाये जाते बादल, ज़मीन कहलाती आसमान और तुम कहलाते सूरज, अपने आकाश के फिर कोई नहीं करता बात किरणों की फिर सब हो सकते थे रोशन एक दूसरे की रोशनी से #sky #cloud #sunlight #evening #raining #rays #ighub #iggood #instalike #instaclick #picoftheday #visualtreat #instagram #poetry #hindikavita #poetryreading

A post shared by Bekhuri (@bekhuri) on

Wednesday, June 12, 2019

अक्कम पक्कम पार्थ पेस

अक्कम पक्कम पार्थ पेस
(दीवारों के भी कान होते हैं)
*****

अक्कम पक्कम
पार्थ पेस
तमिल में
और हिंदी में
दीवारों के भी कान होते है

भाषाएँ
नहीं जान पाई आज तक
दीवारों की आँख भी होती है
मुँह भी होते है, नाक भी होती है
दीवारों को रंगा जा सकता है
अनेक राजनीतिक रंगों में

होती है
दीवारों की अपनी भाषा
जिसे समझने के लिए
बनना पड़ता है
इट और पत्थर

सदियों से दीवारें
स्वयं की जनक
मज़दूरों की
नहीं हो पाई सगी

दीवारें देती है
चुनने का अहसास
घर में बने आलीशान कमरे
या सलीम और अनारकली की मोहब्बत

अक्कम पक्कम
पार्थ पेस
दीवारों के भी कान होते है
और कान दिमाग के नज़दीक होता है
दिल के नहीं

बेसबब

बहते दरिया बेसबब
ठहरा साहिल बेसबब

मरने की थी एक वजह
जीना अपना बेसबब

अंधेरों से राबता
चोटिल होना बेसबब

दरवाजों में उँगलियाँ
खून के थक्के बेसबब

दोस्त नहीं मैं काम का
अपने रिश्ते बेसबब

पिंजरा पिंजरा ज़िन्दगी
इश्क की शर्ते बेसबब

Friday, June 07, 2019

नींद की लाश

दिन ब दिन आँखें
झील होती जा रही हैं

रोना बिलकुल बंद है

पानी खतरे के निशान के ऊपर
रुका हुआ है

नींद डूबकर मर गई है

आँखों की पुतलियों पर तैरती
अपनी ही नींद की लाश
काफी नहीं है
मुझे भीतर तक जगाने के लिए

शायद मौत भी काफी ना हो
मुझे भीतर तक सुलाने के लिए

पता नहीं, शायद