This blog is all about Gaurav B Gothi's poetic work, music reviews and creative writing. All the content on this blog is original. Appropriate reference has been added in case if it is borrowed from some other sources. Any reuse of this content will require permission from the author. For more details, contact author at gbgothi@gmail.com if you like Gaurav's work then follow this blog and provide your comments.
Saturday, April 27, 2019
एक पत्थर है मुझमें
1. हाथ मलता हूँ
आँखों पर
तो हाथों से
निकलता है खून
आखों से नहीं
निकलता है पानी
आँखों पर
तो हाथों से
निकलता है खून
आखों से नहीं
निकलता है पानी
2. दीवाना सर
देखेगा जब
दिल के ज़ख्म
जिस्म के चीथड़ों में
उससे बदला लेने का ख्याल
फिर भी नहीं आएगा तुम्हें
उस पर सर पटक कर
सर फोड़ना चाहोगे तुम
देखेगा जब
दिल के ज़ख्म
जिस्म के चीथड़ों में
उससे बदला लेने का ख्याल
फिर भी नहीं आएगा तुम्हें
उस पर सर पटक कर
सर फोड़ना चाहोगे तुम
3. मेरा गुरुत्वाकर्षण प्रेम
मेरे भार का रहस्य
मत जानना कभी
मुझे चीजों से बाँधकर
बस फेंका जा सकता है,
समझना ही है,
तो फर्क समझो
उछलने और उड़ने में
मेरे भार का रहस्य
मत जानना कभी
मुझे चीजों से बाँधकर
बस फेंका जा सकता है,
समझना ही है,
तो फर्क समझो
उछलने और उड़ने में
4. तराशों मुझे,
जैसा चाहोगे तुम
दिख जाऊँगा वैसा
पर लाख चोट खाकर भी
ढल नहीं पाऊँगा
जब तक गल ना जाऊँ
जब तक पीस ना दिया जाऊँ
मैं बस बन जाता हूँ
मेरी ही मिट्टी से
होता थोड़े ही हूँ.
जैसा चाहोगे तुम
दिख जाऊँगा वैसा
पर लाख चोट खाकर भी
ढल नहीं पाऊँगा
जब तक गल ना जाऊँ
जब तक पीस ना दिया जाऊँ
मैं बस बन जाता हूँ
मेरी ही मिट्टी से
होता थोड़े ही हूँ.
Saturday, April 20, 2019
कवेलू
टप टप टपककर
बूँद बूँद आसमान
समा सके मुझमें
कोई हटा रहा हो
मध्यम रोशनी से
मेरा बिखरा अंधेरा
ज़िन्दगी की jigsaw puzzle
जिसके हर हिस्से तक
पहुँच सके मेरा हाथ
मकड़ियों की बुनी कविता
गिर जाए कभी
मेरे दामन में
कवेलू की छत
आज भी है
मेरे सिर पर
टूटे हुए कवेलू से
पिट्टू खेलना
अब भी
भूला नहीं हूँ मैं
बूँद बूँद आसमान
समा सके मुझमें
कोई हटा रहा हो
मध्यम रोशनी से
मेरा बिखरा अंधेरा
ज़िन्दगी की jigsaw puzzle
जिसके हर हिस्से तक
पहुँच सके मेरा हाथ
मकड़ियों की बुनी कविता
गिर जाए कभी
मेरे दामन में
कवेलू की छत
आज भी है
मेरे सिर पर
टूटे हुए कवेलू से
पिट्टू खेलना
अब भी
भूला नहीं हूँ मैं
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