Saturday, March 09, 2019

शांति और युद्ध

बहुत अनोखी लगती है
एक बात मुझे
शांति के पुजारियों की
कान में
भिनभिनाते मच्छर को
वो कुछ नहीं करते
चूसने देते है उन्हें अपना खून
मच्छरदानी भी नहीं लगाते
सिर्फ शांति ही नहीं
मच्छरों की भूख की भी चिंता है उन्हें
मच्छरों को मारने की मशीन में
उन्हें हिटलर के गैस चैम्बर्स दिखाई पड़ते है
मच्छरों के काटने से
मलेरिया नहीं होता
और उनका ना होना
किसी सन्नाटे या खंडहर से कम नहीं
इस सिंद्धांत को
जल्द ही किया जाएगा
प्रतिपादित
उस देश में
जहाँ नहीं पाए जाते
एक भी मच्छर
और एक ये भी है
जो मच्छरों से लड़ने के लिए
घर में रखना चाहते है AK47
अमूमन मच्छर
फिदायीन होते है
आतंक चाहते है
युद्ध नहीं
अहिंसा, प्रेम और शांति के
गहरे से गहरे सिद्धान्तों के कानों में
ये रोज़ भिनभिनाते है
जो लोग अपनी किताबों से कर देते है
मच्छरों की हत्या
उन अच्छे लोगों के हाथ साफ होते है
मच्छरों के सूखे पंख
जो किताबों के बीच मिल जाते है कभी
इस तरह की एक कविता लिखकर
गुनाह की कुंठा से मुक्ति मिल जाती है
जो हाथ से मारते है
उन्हें लोग हिजड़ा कहने से नहीं चूकते
मच्छर जानते है भिनभिनाना
आप जानते है हिंदी
और थोड़ी बहुत कविता भी कर लेते है
अमन की आशा में
बातचीत कीजिये
हो सकता है
मच्छर बन जाए पिस्सु
कम से कम भिनभिनाना तो बंद होगा
खून तो भारी मात्रा में उपलब्ध है
थोड़ा चूस भी लेंगे पिस्सु
तो ग्लोबल वार्मिंग थोड़े ही आ जाएगी?
चोर चोरी से जाए
हेरा फेरी से नहीं
मच्छर बदला लेंगे
नयी बिमारियों के साथ
मच्छरों से प्रेरणा पाकर
सुना है
मुर्गियों की सभा में भी
कोई साज़िश रची गयी है
एक दिन
बिरयानी खाने के बाद
मुर्गी भी तुमसे पूछ सकती है
How is the josh?

शब्दों के व्यभिचारी

शब्दों के व्यभिचारी,
शब्दों से खेलकर,
शब्दों के पीछे की बात को,
असहाय छोड़ देते है.
शब्दों के व्यापारी,
शब्दों को बेचकर,
शब्दों के पीछे की बात के,
मायने बदल देते है.
शब्दों के पुजारी,
शब्दों के दर्पण में,
शब्दों के पीछे की बात का,
और खुद का अक्स देखते है.

कोण

सारे कोण टिके है 
एक छोटे से
बिंदु पर
फिर भी
सारी भुजाएँ 
खोज रही हैं
एक बडा बिंदु
जो खुद
सदियों से लगा है
सूरज की चाकरी में

नर और नारी

नर और नारी
कौन है ये दोनों?

जिसे पता हो रंग पानी का


वो आये
और सुलझाए ये गुत्थी।

Saturday, March 02, 2019

पता नहीं, शायद