मंजिल कहा है मेरी, ये मुझे पता नहीं,
मैं रूक के बैठ जाऊं, ये जरूरी तो नहीं.
इंसान जो भगवान् है सबकी निगाह मैं,
पर मैं भी उसे पूजू, ये जरूरी तो नहीं.
भला किया बुरा मिला, बुरा जो मैं करूं,
अच्छा मुझे मिल जाये, ये जरूरी तो नहीं.
कहते है मुझे लोग मैं बदल सा गया हूँ,
सब लोग मुझे समझे, ये जरूरी तो नहीं.
करता हूँ मोहोब्बत मैं तुमसे बेशुमार पर,
इजहार मैं करूं, ये जरूरी तो नहीं.
करना है मुझे बहुत कुछ, सबके लिए यहाँ,
ज़िंदा रहूं मैं कल, ये ज़रूरी तो नहीं.
This blog is all about Gaurav B Gothi's poetic work, music reviews and creative writing. All the content on this blog is original. Appropriate reference has been added in case if it is borrowed from some other sources. Any reuse of this content will require permission from the author. For more details, contact author at gbgothi@gmail.com if you like Gaurav's work then follow this blog and provide your comments.
Monday, June 27, 2005
Monday, June 13, 2005
सीख...
मन हलका दिमाग खुला रख ताज़ा होले,
काहे को कल से डरता है आज तो जी ले.
क्या पालेगा मर मर के पैसा और शोहरत,
परिवार दोस्त जीवन का कुछ आनंद तो ले ले.
मत भाग तू इतनी तेज़ के रूकना पड़े बीच में,
चलना है जीवन भर तू थोडा साँस तो ले ले.
गम मत कर गर कुछ छूट गया हाथो से तेरे,
जो आया तेरे हाथ में उसमे खुश हो ले.
काहे को कल से डरता है आज तो जी ले.
क्या पालेगा मर मर के पैसा और शोहरत,
परिवार दोस्त जीवन का कुछ आनंद तो ले ले.
मत भाग तू इतनी तेज़ के रूकना पड़े बीच में,
चलना है जीवन भर तू थोडा साँस तो ले ले.
गम मत कर गर कुछ छूट गया हाथो से तेरे,
जो आया तेरे हाथ में उसमे खुश हो ले.
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ठिकाने मुझसे अक्सर पूछते है, ठिकाना मेरा मुझसे पूछते है। दीवारों की पुताई कैसे होगी? मजहब के रंग मुझसे पूछते है। नहीं बन पाए है इंसान अब तक...