Wednesday, January 30, 2019

बुखार

बुखार
*****

माहौल की
बगल वाली
अंधेरी
बदबुदार गलियों में
कुछ देर
अपनी कलम फसाकर
मैं देख लेता हूँ
अपनी स्याही का उबाल

जब सब कुछ ठीक ना हो या
बहुत देर हो गई हो
तब मर्ज़
और दवा के बीच का फर्क लिख पाना
आसान नहीं होता
कुछ लिखो
तो जलने लगते है कागज़
और माथे पे रखने के लिए
ठंडे पानी में भीगी पट्टियां
हर बार नसीब नहीं होती

Saturday, January 26, 2019

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जहाँ असंभव हो जड़ दिया जाना जहाँ असंभव हो मालाओं को टाँगना जहाँ संभावनाओं की ज्यामिति सतत खोज रही हो पहले से बेहतर सूत्र और प्रमेय मैं विचरना चाहता हूँ एक ऐसी फ्रेम में जिसका क्षेत्रफल बाहर हो मेरी समझ से। #bhutandiaries #bhutan #mountains #clouds #sky #nature #amazing #ighub #iggood #instalike #instaclick #picoftheday #visualtreat #instagram #travel #fun #family #enjoyment #landscape #forest #hindikavita #picturepoem #poetry #blue

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Thursday, January 17, 2019

मैं कहाँ हूँ

मैं कहाँ हूँ
*****

तुम्हें लिखना होगा
एक नया भूगोल
जो हो सकता है
गोल ना होकर
कहीं कहीं
चपटा सा हो
अपने साथ
एक वास्तविक
क्षितिज लिये हुए
तुम्हे खोजना होगा
वो चुम्बक
जिसे ज्ञात हो
मेरी दशा और दिशा
तुम्हें बनाने होंगे
कई नक्शे
जिसमें ज़िक्र हो
रास्तों पर बहते मेरे रक्त का
स्मारकों में लगी मेरी हड्डियों, खालों का
मेरी संवेदनाओं के मौसम का
मेरी मिट्टी के स्वभाव का
तुम्हें जाना होगा
उन ध्रुवों पर
जहाँ बसता है
मेरा आत्मीय स्नेह
मेरा निश्छल प्रेम
तुम्हें समझना होगा
भूगोल की भौगोलिक समझ
और इतिहास के हर युद्ध के बीच का रिश्ता

शायद तुम जान पाओ
मैं कहाँ हूँ
इस सवाल के जवाब का
मेरे अक्षांश और देशांतर से
कोई वास्ता नहीं

Thursday, January 03, 2019

*****

जीने का शोर
बिखरा हुआ था
मेरी डायरी के
कुछ पन्नों पर

आदतन
तम्हारी खुमारी का कोई प्याला
टूटा होगा कहीं
आदतन
रिश्तों को समेटते समेटते
मौत की खामोशी
चुभ गयी होगी
मेरी उंगलियों में कहीं

एक महीन
मगर गहरा फासला
अब भी है
बरकरार
तुम्हारी रेड वाइन
और मेरे ब्लड ग्रुप में

*****

अपने दोनों हाथों से
मेरी दोनों आँखें मूंदकर
एकांत ने मुझसे पूछा
पहचान, में कौन हूँ?

बिन पहचान की पहचान
बिन आवाज़ की आवाज़
बिन शब्दों की किताब
बिन बोली की भाषा
अनेक शून्य का अनंत
अनेक अनंत का शून्य
बिन खुशबू की खुशबू
समझ से परे
बहुत कुछ तैरने लगा
मन के आसमान में

बंद आँखों में ही
बहुत चुप रहने लगा हूँ
जानता हूँ
हर जवाब
बोलते ही हो जाएगा झूठ
बेवजह आँख खुल जाएगी
बेवजह मारा जाऊँगा मैं

Resolution

Who am I? and,
Why am I here?
Who takes care of me? and,
Who knows me better?
Closing my eyes and asking this to myself.
Thinking honestly till I reach to inner self.
I can feel the separation of two streams.
One is with me and the other is in dreams.
Lets have a resolution to keep this in control,
And feel the power in mind, body and soul.

पता नहीं, शायद