Wednesday, December 12, 2018

मैं वहीं मिलूँगा

मैं वहीं मिलूँगा
जहाँ तुम छोड़ गए थे मुझे

निकल पड़े थे तुम
अगले पड़ाव पर
जिसके बारे में
तुमने बताया तो था
पर समझ नहीं पाया था मैं शायद
तुम अपनी धुन में चलना चाहते थे
मैं चाहता था संगत देना तुम्हारी धुन पर
तुम तीनताल में थे
मैं कहरवा में था
तुम नहीं रुक पाए
कहरवा के अगले आवर्तन तक
जहाँ संभावनाएं थी
सम मिलने की
तुम्हें अचानक लगा होगा
लय छूट रही है
तुम खाली पर ही उठ पड़े
मैं भी रुक गया था खाली पर
एक आवर्तन का
खत्म ना हो पाना
जन्म दे चुका था
एक इंतज़ार को
जिसकी लय और ताल
निर्धारित करने की आज़ादी
मिल गयी थी हमें

सोलह मात्राओं में
सपने देखना छोड़ दिया था मैंने
फैसला हो चुका था
अब रूपक में ही काटनी थी ज़िन्दगी
मेरा विस्तार तीनताल की खाली पर रुक चुका था
मेरा इंतज़ार रूपक की सांतवी मात्रा तक पहुँच कर
लौट आता था सम पर
जो सम होकर भी खाली था

एक उम्मीद अब भी है
शायद तुम सजा रहे होंगे
तुम्हारे हिस्से का इंतज़ार
कहरवा में
और
मैं वहीं मिलूँगा
जहाँ तुम छोड़ गए थे मुझे।

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