धर्मनिरपेक्षता का लायसेंस
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उसने किसी भी संगठित विचारधारा को खारिज किया पर उसका मज़ाक नहीं उड़ाया या उस पर कभी भद्दी टिपण्णी नहीं की. उसने हर तरीके के नरसंहार एवं युद्ध का विरोध किया पर नरसंहार के बदले में नरसंहार का पक्ष नहीं लिया। उसने अपनी आस्था के विषय में कभी बात नहीं की और ना ही उसका प्रचार किया। वो जहाँ खड़ा था उसने वहाँ से अपनी बात रखी, किसी मंच की माँग नहीं की. वो हाथों में घडी नहीं पहनता था, क्योंकि उसे खुद के समय होने का आत्मविश्वास था. कौतुहलवश एक दिन उससे पूछा गया, तुम कौन हो, उसने कहा "इस विश्व का सार्वभौमिक नागरिक". दुर्भाग्यवश धर्मनिरपेक्षता के शब्दकोष में निरपेक्षता का अर्थ सार्वभौमिकता के करीब नहीं था, इसीलिए उसे धर्मनिरपेक्षता का लायसेंस नहीं दिया गया, पर किसी अज्ञात कारण से उसे सार्वभौमिक रूप से साम्प्रदायिक कहा जाने लगा.
एक समय था, जब एक शख़्स ने कहा कि सूरज पृथ्वी के इर्द गिर्द नहीं घूमता, बल्कि पृथ्वी सूरज के चक्कर लगाती है, उस शख़्स को मृत्युदंड दिया गया. इस बात को आज के समय में भी ठीक ठीक कह पाना और समझ पाना बहुत कठिन है.
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उसने किसी भी संगठित विचारधारा को खारिज किया पर उसका मज़ाक नहीं उड़ाया या उस पर कभी भद्दी टिपण्णी नहीं की. उसने हर तरीके के नरसंहार एवं युद्ध का विरोध किया पर नरसंहार के बदले में नरसंहार का पक्ष नहीं लिया। उसने अपनी आस्था के विषय में कभी बात नहीं की और ना ही उसका प्रचार किया। वो जहाँ खड़ा था उसने वहाँ से अपनी बात रखी, किसी मंच की माँग नहीं की. वो हाथों में घडी नहीं पहनता था, क्योंकि उसे खुद के समय होने का आत्मविश्वास था. कौतुहलवश एक दिन उससे पूछा गया, तुम कौन हो, उसने कहा "इस विश्व का सार्वभौमिक नागरिक". दुर्भाग्यवश धर्मनिरपेक्षता के शब्दकोष में निरपेक्षता का अर्थ सार्वभौमिकता के करीब नहीं था, इसीलिए उसे धर्मनिरपेक्षता का लायसेंस नहीं दिया गया, पर किसी अज्ञात कारण से उसे सार्वभौमिक रूप से साम्प्रदायिक कहा जाने लगा.
एक समय था, जब एक शख़्स ने कहा कि सूरज पृथ्वी के इर्द गिर्द नहीं घूमता, बल्कि पृथ्वी सूरज के चक्कर लगाती है, उस शख़्स को मृत्युदंड दिया गया. इस बात को आज के समय में भी ठीक ठीक कह पाना और समझ पाना बहुत कठिन है.
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