Thursday, December 20, 2018

मेरे पंखों का रंग



मेरे पंखों का रंग
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शायद मैं रुक जाता
शायद मैं काट देता उन्हें
शायद मैं अपने रास्ते की हवाओं की दुर्गन्ध को
मान लेता अपनी सभ्यता
शायद मैं चल देता उस रास्ते पर
जिसे मैं नहीं चाहता था खोजना
शायद मैं आसमान से
औंधे मुँह गिरने की करामात दिखाकर
बटोरने लगता वाहवाही
शायद टूटकर बिखरने की क्रिया को
मैं मान बैठता अपनी उपलब्धि
शायद मैं अपने निशां ढूंढ़ता
जब अगली बार उड़ता हवाओं में

अच्छा है
तुमने मेरे पंखों का रंग
नहीं बताया मुझे

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