सकारात्मक सोच
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यह कैसा प्रेम है
जो पल रहा है
बारूद के ढेर पर?
ये कैसा धर्म है
जो बेझिझक देता है
बंदूक चलाने की हिदायत?
ये कैसा सत्य है
जो बम के धमाकों से
सुनाना चाहता है
अपनी आवाज़?
ये कैसी शांति है
जिसे किसी भी युद्ध से
कोई परहेज़ नहीं?
ये कैसी इंसानियत है
जिसे अपनी हैवानियत से
अब कोई शर्म नहीं?
ये कैसी सकारात्मक सोच है
जिसने विलोम
और पर्यायवाची शब्दों के बीच
मिटा दिए है
सारे फासले?
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