Sunday, October 24, 2021

एकमेव मानवता


तुम कह सकते हो 
कि सूरज उगता है 
तुम्हारे बरामदे से 
इतने अद्वितीय और आज़ाद तो तुम हो ही 

मैं कह सकता हूँ 
कि सूरज उगता है 
मेरी बालकनी से 
इतना अद्वितीय और आज़ाद तो मैं हूँ ही 

पर हम दोनों
इतने अद्वितीय और आज़ाद
कभी भी ना हो पाएंगे
कि झुटला दें
सूरज के पूरब से उगने का सच 

विश्व की एकमेव मानवता का 
कष्ट और करुणा
हमें अलग अद्वितीय प्रतीत हो 
हां, इतने विशिष्ट और आज़ाद
हम अवश्य हो गए हैं

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