उजालों को समेटकर
हमने सीखा उन्हें टांग देना
खुद से दूर कहीं
एक टिमटिमाती
झिलमिल झालर के मानिंद
जबकि वादा था ब्रह्मांड से
ख़ुद उजाला होकर
अँधेरो में घुसपैठ का
टांग देना आसान था हमारे लिए
एक सत्य से भरी पेंटिंग
और दिनभर के झूठ से भरी टी शर्ट
पर मुश्किल था
उतरकर देखना
अपने ही सूखे कुएँ में
अंधेरे पानी की झील
जो सदियों से भूखी है
उजालों के इंतज़ार में
बीरबल की खिचड़ी की तरह
हर टंगी हुई चीज़ में
कुछ पक रहा होता है
उतारकर खाने के लिए
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