Sunday, October 24, 2021

टांगना


उजालों को समेटकर
हमने सीखा उन्हें टांग देना
खुद से दूर कहीं 
एक टिमटिमाती 
झिलमिल झालर के मानिंद

जबकि वादा था ब्रह्मांड से 
ख़ुद उजाला होकर
अँधेरो में घुसपैठ का

टांग देना आसान था हमारे लिए
एक सत्य से भरी पेंटिंग
और दिनभर के झूठ से भरी टी शर्ट
पर मुश्किल था 
उतरकर देखना
अपने ही सूखे कुएँ में
अंधेरे पानी की झील
जो सदियों से भूखी है 
उजालों के इंतज़ार में

बीरबल की खिचड़ी की तरह
हर टंगी हुई चीज़ में 
कुछ पक रहा होता है 
उतारकर खाने के लिए

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