Friday, December 18, 2020

Random thoughts

मैंने भीतर के आँसुओं को बचाए रखा

मैंने भीतर के समंदर को  बचाए रखा


मेरे जज़्बात मछलियां हुए शैवाल हुए

अपने अश्कों का नमक मैंने बचाए रखा


समय की रेत घड़ी तोड़ दी अपने भीतर

समय की रेत का साहिल भी बचाए रखा


हवाएँ गीली है और ज़ख्म भी गीले हैं मेरे

जला के हौसलें मरहम को बचाए रखा


मरा नहीं हूँ मैं फिर भी परखता हूँ भूषण

खुद ही की लाश के टुकड़े को बचाए रखा

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