मैंने भीतर के आँसुओं को बचाए रखा
मैंने भीतर के समंदर को बचाए रखा
मेरे जज़्बात मछलियां हुए शैवाल हुए
अपने अश्कों का नमक मैंने बचाए रखा
समय की रेत घड़ी तोड़ दी अपने भीतर
समय की रेत का साहिल भी बचाए रखा
हवाएँ गीली है और ज़ख्म भी गीले हैं मेरे
जला के हौसलें मरहम को बचाए रखा
मरा नहीं हूँ मैं फिर भी परखता हूँ भूषण
खुद ही की लाश के टुकड़े को बचाए रखा
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