बीज गणित (algebra)
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मैं कौन हूँ?
ये एक सवाल है,
जीवन के बीज गणित (algebra) का,
जिसमे मैंने मान लिया है
कि मैं x हूँ।
ये एक सवाल है,
जीवन के बीज गणित (algebra) का,
जिसमे मैंने मान लिया है
कि मैं x हूँ।
मेरी किसी से बहुत बनती है,
किसी से कोई मतलब नहीं,
या किसी से कोई अनबन है,
कुल मिला के इस प्रकार के,
मेरे सबसे व्यक्तिगत समीकरण (equation) है।
किसी से कोई मतलब नहीं,
या किसी से कोई अनबन है,
कुल मिला के इस प्रकार के,
मेरे सबसे व्यक्तिगत समीकरण (equation) है।
साम, दाम, दंड, भेद,
ये चार सूत्र (formule) हैं।
इन्हें इस्तेमाल कर अपने व्यक्तिगत
समीकरणो से खेलता हूँ।
और x को हमेशा
जिताने की कोशिश करता हूँ।
ये चार सूत्र (formule) हैं।
इन्हें इस्तेमाल कर अपने व्यक्तिगत
समीकरणो से खेलता हूँ।
और x को हमेशा
जिताने की कोशिश करता हूँ।
यही x है यही मैं हूँ।
एक समय t पर,
कुछ ऐसा हुआ कि,
सारे समीकरण और सूत्र
जवाब दे गए।
x को भी हार माननी पड़ी।
कुछ ऐसा हुआ कि,
सारे समीकरण और सूत्र
जवाब दे गए।
x को भी हार माननी पड़ी।
नए समीकरण और सूत्रो की तलाश हुई,
अपने अंदर झाँका,
कुछ प्रेम के समीकरण और सूत्र मिले,
उसमें और झाँक के देखा
तो x को अनंत पाया,
और उसी क्षण मैं का हो गया सफाया।
अपने अंदर झाँका,
कुछ प्रेम के समीकरण और सूत्र मिले,
उसमें और झाँक के देखा
तो x को अनंत पाया,
और उसी क्षण मैं का हो गया सफाया।
मैं कुछ ना होकर भी बहुत कुछ हूँ,
शायद यही जवाब है ऊपर लिखे सवाल का।
शायद यही जवाब है ऊपर लिखे सवाल का।
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