Friday, February 22, 2019

तुम्हारी मोहब्बत

तुम्हारी
खूबसूरत बातों का
तकिया बनाकर
रख दिया है
सिरहाने
जो रुई जैसे
नरम मुलायम वाकये
सुनाये थे तुमने
वो अब लफ्ज़ लफ्ज़
घुल रहें हैं
कानों में
तुम्हारी
खिलखिलाती हंसी का पिलो कवर
खूब सज रहा है
तुम्हारी बातों के तकिये पर
तुम्हारी आंखों से
अपनी मोहब्बत के
जो ख़्वाब देखे थे हमने
वो सुकून से है
सो रहे है
सिरहाने

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