Tuesday, December 05, 2017

रावण प्रबंधन

मुखौटों से मरासिम है निराला रोज़ का अपना,
मैं रावण मैनेज करता हूँ अमन और चैन की खातिर।

© 2017 गौरव भूषण गोठी

No comments:

अधिकतर हम रहते हैं अपनी भाषा में...

अधिकतर हम रहते हैं अपनी भाषा, अपनी संस्कृति, अपने व्यक्तित्व, अपने चरित्र, अपनी समझ या अपने मद में। हम रह सकते हैं अपने रंग में भी पर कलम से...