सब कुछ
चल रहा होता है पीछे
हर पल
पल भर में बह जाता है
किसी अहसास के
समंदर में
ये ट्रेन
शहर तो पहुँचा देगी
पर घर नहीं।
© 2018 गौरव भूषण गोठी
चल रहा होता है पीछे
हर पल
पल भर में बह जाता है
किसी अहसास के
समंदर में
ये ट्रेन
शहर तो पहुँचा देगी
पर घर नहीं।
© 2018 गौरव भूषण गोठी
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