Monday, June 27, 2005

जरूरी तो नहीं...

मंजिल कहा है मेरी, ये मुझे पता नहीं,
मैं रूक के बैठ जाऊं, ये जरूरी तो नहीं.

इंसान जो भगवान् है सबकी निगाह मैं,
पर मैं भी उसे पूजू, ये जरूरी तो नहीं.

भला किया बुरा मिला, बुरा जो मैं करूं,
अच्छा मुझे मिल जाये, ये जरूरी तो नहीं.

कहते है मुझे लोग मैं बदल सा गया हूँ,
सब लोग मुझे समझे, ये जरूरी तो नहीं.

करता हूँ मोहोब्बत मैं तुमसे बेशुमार पर,
इजहार मैं करूं, ये जरूरी तो नहीं.

करना है मुझे बहुत कुछ, सबके लिए यहाँ,
ज़िंदा रहूं मैं कल, ये ज़रूरी तो नहीं.

Monday, June 13, 2005

सीख...

मन हलका दिमाग खुला रख ताज़ा होले,
काहे को कल से डरता है आज तो जी ले.

क्या पालेगा मर मर के पैसा और शोहरत,
परिवार दोस्त जीवन का कुछ आनंद तो ले ले.

मत भाग तू इतनी तेज़ के रूकना पड़े बीच में,
चलना है जीवन भर तू थोडा साँस तो ले ले.

गम मत कर गर कुछ छूट गया हाथो से तेरे,
जो आया तेरे हाथ में उसमे खुश हो ले.

अधिकतर हम रहते हैं अपनी भाषा में...

अधिकतर हम रहते हैं अपनी भाषा, अपनी संस्कृति, अपने व्यक्तित्व, अपने चरित्र, अपनी समझ या अपने मद में। हम रह सकते हैं अपने रंग में भी पर कलम से...