Saturday, December 07, 2019

पक्की छाँव

हम भागते है
अपनी ही
छाँव के पीछे
हमारी छाँव
भागती है
हमसे दूर
उजालों की खोज में
हम ढूँढ रहे हैं
अंधेरों से बनी
पक्की छाँव

अधिकतर हम रहते हैं अपनी भाषा में...

अधिकतर हम रहते हैं अपनी भाषा, अपनी संस्कृति, अपने व्यक्तित्व, अपने चरित्र, अपनी समझ या अपने मद में। हम रह सकते हैं अपने रंग में भी पर कलम से...