Wednesday, December 21, 2022

ऐनक की दुकान

आजकल हमारे ख्वाबों के जुनून का 

उच्चतम पैमाना है

खुद बाज़ार का विज्ञापन हो जाना


जो दिखता है

वो बिकता है

गिर गिर के सीख सकता था जो

वो सीख सीख के गिरता है


खुली हुई हैं हमारी आखें

पर गिरवी है नज़रें 

ऐनक की दुकान पर


चेहरे को बुद्धिजीवी बताती 

एक ब्रांडेड ऐनक भी मिल गई है बाज़ार में

रिव्यू कमेंट्स, फाइव स्टार रेटिंग 

और फीडबैक के हिसाब से 

साफ़ साफ़ देखने का

हमारा ख्वाब

पूरा हो रहा है


हम इतने खुश

और संवेदनशील हो गए हैं कि

अक्सर भर आती है हमारी आंखें

पर नज़रें जो गिरवी रखी थी 

उसकी लिखा पढ़ी

धुंधली हो रही है


खुशफहमियां कायम है अब भी

हम दुनिया की नज़रों में 

खुशी खुशी मरना चाहते हैं


बाज़ार का चक्र

पुनरजनम के चक्र से

ज़्यादा चक्करदार है

मुक्ति के लिए अब 

सिर्फ अच्छे कर्म काफी नहीं

गिरवी नज़रों को भी छुड़ाना होता है


बाज़ार का कोई ब्रह्माण्ड नहीं

 

दोस्ती वाली कट्टी

वादा है

माउंट एवरेस्ट तक 

दुर्गम चढ़ाई

साथ में करेंगे

खूब जमेगा रंग 

जब मिल कर चलेंगे तीन यार

तुम, मैं और विकट परिस्थितियां


सब सह भी लेंगे

सब जीत भी लेंगे

मुस्कुराते हुए


बस रात को

तम्बू में 

सोते समय

मेरे पैरों से 

कम्बल मत खींचना


मैं कट्टी नहीं कर पाऊंगा तुमसे 

मुस्कुराते हुए


Sunday, June 19, 2022

5 रुपए की चाय




5 रुपए की चाय में
अपनी उँगलियों को डालकर
छिड़क दिए उसने
अपने इर्द गिर्द
दो चार छींटें
एक मंत्र भी पढ़ा उसने
मंद मंद मन ही मन
अपने होंठों से फुसलाकर
फिर उसने पी ली
बची हुई एक कप चाय
और सैकड़ों कप उम्मीदें
उसकी चेहरे की झुर्रियाँ
उसकी आँखों की चमक से
अचानक हार गयी
सब कुछ जी लेने की ऊर्जा
उसने कमा ली है दिन भर के लिए


पता नहीं, शायद