बेखुरी
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Wednesday, October 18, 2023
Tuesday, August 15, 2023
Wednesday, December 21, 2022
ऐनक की दुकान
आजकल हमारे ख्वाबों के जुनून का
उच्चतम पैमाना है
खुद बाज़ार का विज्ञापन हो जाना
जो दिखता है
वो बिकता है
गिर गिर के सीख सकता था जो
वो सीख सीख के गिरता है
खुली हुई हैं हमारी आखें
पर गिरवी है नज़रें
ऐनक की दुकान पर
चेहरे को बुद्धिजीवी बताती
एक ब्रांडेड ऐनक भी मिल गई है बाज़ार में
रिव्यू कमेंट्स, फाइव स्टार रेटिंग
और फीडबैक के हिसाब से
साफ़ साफ़ देखने का
हमारा ख्वाब
पूरा हो रहा है
हम इतने खुश
और संवेदनशील हो गए हैं कि
अक्सर भर आती है हमारी आंखें
पर नज़रें जो गिरवी रखी थी
उसकी लिखा पढ़ी
धुंधली हो रही है
खुशफहमियां कायम है अब भी
हम दुनिया की नज़रों में
खुशी खुशी मरना चाहते हैं
बाज़ार का चक्र
पुनरजनम के चक्र से
ज़्यादा चक्करदार है
मुक्ति के लिए अब
सिर्फ अच्छे कर्म काफी नहीं
गिरवी नज़रों को भी छुड़ाना होता है
बाज़ार का कोई ब्रह्माण्ड नहीं
दोस्ती वाली कट्टी
वादा है
माउंट एवरेस्ट तक
दुर्गम चढ़ाई
साथ में करेंगे
खूब जमेगा रंग
जब मिल कर चलेंगे तीन यार
तुम, मैं और विकट परिस्थितियां
सब सह भी लेंगे
सब जीत भी लेंगे
मुस्कुराते हुए
बस रात को
तम्बू में
सोते समय
मेरे पैरों से
कम्बल मत खींचना
मैं कट्टी नहीं कर पाऊंगा तुमसे
मुस्कुराते हुए
Sunday, June 19, 2022
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